वैसे तो छत्तीसगढ़ के मंदिरों के इतिहास के बारे में देखा जाए तो CG Danteshwari mandir का इतिहास बहुत ही अद्भुत और चमत्कार के लिए जाना जाता है साथ ही ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर से जुड़े हुए लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए यहां पर दर्शन के लिए आते हैं साथ यहां के पुजारी ने इस मंदिर से जुड़े हुए जीवंत चमत्कार को बताया है साथ ही जगदलपुर दशहरा से जुड़े हुए रोचक तथ्य भी इस लेख में दिया गया है यदि आपको इस लेख में कोई समस्या या कोई गलत जानकारी मिलता है तो आप दिए गए नंबर पर संपर्क कर सकते हैं|
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Table of Contents
दंतेश्वरी मंदिर का नाम कैसे पड़ा
Danteshwari mandir kahani – इस मंदिर की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह डंकनी और संखनी नदी के बीच में स्थित है नदी के बहाव इस मंदिर को और भी भव्य बना देता है ऐसा माना जाता है कि जिस समय संसार की उत्पत्ति हुआ था उसे समय संसार की स्थिति बिगड़ रही थी |तो संसार की संतुलन के समय विष्णु भगवान ने मां सती के शरीर को 52 भागों में विभक्त कर दिया ।इस विभक्त में दांत का हिस्सा इस शक्तिपीठ में गिरा इसलिए इस मंदिर का नाम दंतेश्वरी मंदिर पड़ा।
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दंडेश्वरी मन्दिर परिसर में पर्व – Danteshwari mandir Photo

यहां नवरात्र कुंवार नवरात्र, चैत्र नवरात्र में पूजा होने के बाद, साथ ही संपूर्ण मेला होने के बाद 11 दिन विदाई का आयोजन किया जाता है जिसमें से बीजापुर ,कोंडा गांव ,उड़ीसा क्षेत्र की शक्तिपीठ या यहां के देवी देवताओं को विदाई किया जाता है बाकी परंपरा उत्सव की तरह यहां पर भी फागुन मेला जो मार्च अप्रैल के समय होता है और नवराज जो शरद नवरात्रि या चैत्र नवरात्रि के समय यहां पर पारंपरिक उत्सव के तौर पर मिला का आयोजन किया जाता है जहां पर मां दंतेश्वरी मंदिर की परिसर में हजारों पर्यटकों और श्रद्धालुओं का आकर्षण का केंद्र बना रहता है|
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मां दंतेश्वरी से जुड़े हुए रोचक तथ्य
ऐसा माना जाता है कि नवरात्रि की नौवे दिन के बाद मां देवी की पूजा होने के बाद इसे जगदलपुर दशहरा के लिए प्रस्थान किया जाता है जहां पर उसे डोली को मंदिर में रखा जाता है नवा खाई से पहले मां देवी को फसल अर्पित किया जाता है उसके बाद ही आगे की परंपरा को मनाया जाता है ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 850 साल पहले का है राजा वारंगल से आए हुए|
नागवंशी राजा बानसूर राजा को पराजित करते हैं उसके बाद कुछ दिन बाद राजा ने इस परिसर का निर्माण करवाया था जी उनकी कुलदेवी ने उनको यह सपना दिखाया था मां दंतेश्वरी मंदिर के इस परिसर में शिव पार्वती गणेश विष्णु आदि भगवान की भी प्रतिमान देखने को भी मिलता है
जिया बाबा कौन है
मां दंतेश्वरी मंदिर के पंडित जी का कहना है कि उनके दादा के दादा के पिता श्री श्याम सुंदर जी जिनके शरीर शीशे की तरह था। जिसमें जब एक पानी का सेवन करते थे तब पानी किस शरीर के भाग में जा रहा है यह भी दिखाई देता था कुछ समय के लिए मृत प्राणी को जीवित कर दिए थे ।श्री श्याम सुंदर जी के इस स्पर्श मात्र से मृत प्राणी जीवित हो गया था। जो कि कुछ समय के लिए ही जीवित हुआ था।
इसलिए उसे पंडित के परिवार के लोग को जिया बाबा से संबोधित किया जाता है मंदिर परिसर की अन्य पुजारी को इस नाम से नहीं संबोधित किया जाता है सिर्फ और सिर्फ उनके परिवार से जुड़े लोग को ही जिया बाबा कहते हैं।
CG Danteshwari mandir कहां स्थित है
छत्तीसगढ़ राज्य की दंतेवाड़ा जिले में स्थित यह मंदिर 14वीं सदी से बना मंदिर है जो की जगदलपुर तहसील से लगभग 80 से 50 किलोमीटर दूर वहीं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 350 किलोमीटर दूर स्थित है आगर रोड यात्रा की बात किया जाए तो यहां से नेशनल हाईवे 30 से लगभग 7 से 8 घंटे की दूरी में स्थित है यह मंदिर शक्तिपीठ में गिना जाता है साथ यह मंदिर देवी देवताओं की चमत्कार को ही प्रदर्शित करता है