महाकुंभ में सिंधी समाजसेवियों की संत साईं मसंद साहिब के नेतृत्व में पूर्वजों के साथ होगी बैठक
भारत को हिंदू राष्ट्र एवं विश्वगुरु बनाने की चल रही चुनौती में सिन्धी समाज की भागीदारी पर होगी चर्चा
साईं मसंद साहिब 8 से 22 जनवरी तक महाकुंभ में ज्योतिर्मठ पुरावशेष आश्रम में रहेंगे
रायपुर। ज्योतिर्मठ के पितृ पूज्यपाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज के विशेष संदेश में सिंधी समाज के आदरणीय संत, मसंद सेवाश्रम के पीपायोगी साईं जलकुमार मसंद साहिब 8 से 22 जनवरी तक महाकुंभ समागम में ज्योतिर्मठ तीर्थयात्रियों का आगमन हुआ। वे 9 जनवरी को पितृ स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज के महाकुंभ में प्रवेश की प्रतिज्ञा में शामिल होंगे। देश के एक सौ विशिष्ट संत इस संप्रदाय में शामिल होने के लिए विशेष रूप से आमंत्रित किए गए हैं। अनुयायियों में स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज के मनोनीत देश के 543 गौ अल्पसंख्यक, हजारों गौ सेवक, गौ निर्जीव एवं गौ सरपंच अपने सहयोगियों के साथ शामिल होंगे।
11 जनवरी को ज्योतिर्मठ पर्वतारोहण में ऊपज के सभी अल्पसंख्यकों, गौ-विधायकों, गौ-आधार गौ एवं गौ-सरपंचों का एक महत्वपूर्ण सम्मेलन होगा। सम्मलेन में शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज के मार्गदर्शन में चल रहे गौमाता राष्ट्रमाता अभियान की ओर आगे बढ़ेंगे। साईं मसंद साहिब इस सम्मेलन में अतिथि स्वरूप उपस्थित रहेंगे। 19 जनवरी को उत्तर प्रदेश में साईं मसंद साहिब के पहले शिविर में और कुछ अन्य बौद्धों के सिंधी समाज के सेवक शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज एवं शारदामठ गुजरात के पितृ स्वामी सदानंद सरस्वती जी महाराजश्री के साथ बैठक करेंगे। बैठक में भारत को हिंदू राष्ट्र और विश्वगुरु बनाने की चल रही मांग में सिंधी समाज की भूमिका तय की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि सिंधी समाज के विश्राम देशभक्त संत साईं मसंद साहिब पिछले बारह वर्षों से देश के पूज्यपाद पूर्वजों और अन्य महान संतों के माध्यम से देश में सनातन वैदिक सिद्धांतों पर आधारित शासन स्थापित करवाकर भारत को पुनः स्थापित करने का अभियान चला रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सनातन वैदिक सिद्धांत विश्व स्तर पर एक ओर जहां मानव जीवन को सुखमय, आनंदमय और सर्वगुणों के सिद्धांत बनाते हैं, जल, थल, नभ से संबंधित उनकी संपूर्ण आवश्यकताएं सैद्धांतिक, वैज्ञानिक और व्यवहारिक ज्ञान के साथ कहीं और मौजूद हैं। के मूल लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति का आध्यात्मिक मार्ग भी पूर्ण करते हैं। उनका मानना था कि सन् 2030 तक हम भारत को सनातन हिंदू राष्ट्र एवं विश्वगुरु बना देंगे।