दशहरा उत्सव से पहले, भारतीय रेलवे कर्मचारियों के एक समूह ने अपने वार्षिक उत्पादकता-लिंक्ड बोनस (पीएलबी) की गणना में संशोधन का अनुरोध किया है। वे सरकार से पुराने वेतनमान के बजाय सातवें वेतन आयोग के आधार पर बोनस देने का आग्रह कर रहे हैं। छठा वेतन आयोगउनका तर्क है कि यह निर्णय अन्यायपूर्ण है और उनके वर्तमान वेतन को प्रतिबिंबित नहीं करता है।
संशोधन का मामला
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव को लिखे पत्र में भारतीय रेलवे कर्मचारी महासंघ (आईआरईएफ) के राष्ट्रीय महासचिव सर्वजीत सिंह ने बताया कि मौजूदा पीएलबी की गणना छठे वेतन आयोग के न्यूनतम वेतन 7,000 रुपये प्रति माह के आधार पर की जाती है। हालांकि, 1 जनवरी 2016 से रेलवे कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के तहत न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये मिल रहा है।
सिंह ने कहा, “7,000 रुपये के न्यूनतम वेतन का उपयोग करके पीएलबी की गणना करना रेलवे कर्मचारियों के साथ स्पष्ट अन्याय और शोषण है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बोनस को कर्मचारियों की वास्तविक आय को दर्शाने के लिए अद्यतन वेतनमान के साथ जोड़ा जाना चाहिए।
कोविड-19 योगदान और बढ़ती चिंताएँ
आईआरईएफ ने कोविड-19 महामारी के दौरान रेलवे कर्मचारियों के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन और लोगों के डर के बावजूद, रेलवे कर्मचारियों ने निर्बाध ट्रेन संचालन सुनिश्चित किया, जिससे रेलवे की आय में वृद्धि हुई, जैसा कि तिमाही रिपोर्टों में दर्शाया गया है। महासंघ ने तर्क दिया कि कर्मचारियों को उनके समर्पण के लिए उचित रूप से पुरस्कृत किया जाना चाहिए।
सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, रेलवे कर्मचारियों को 78 दिनों के वेतन के बराबर पीएलबी मिलता है। हालांकि, 7,000 रुपये मासिक वेतन के आधार पर मौजूदा भुगतान 17,951 रुपये है, जो किसी भी रेलवे कर्मचारी की वास्तविक कमाई को नहीं दर्शाता है। सिंह ने बताया कि 18,000 रुपये न्यूनतम वेतन के आधार पर सही पीएलबी गणना 46,159 रुपये होनी चाहिए।
न्याय की गुहार
आईआरईएफ ने सरकार से सातवें वेतन आयोग के अनुसार पीएलबी गणना को संशोधित करने का आग्रह करते हुए निष्कर्ष निकाला। सिंह ने कहा, “इस संशोधन से रेलवे कर्मचारी आगामी दशहरा का त्यौहार खुशी से मना सकेंगे और रेलवे संचालन में अपना महत्वपूर्ण योगदान जारी रख सकेंगे।” उन्होंने सरकार से इस पर त्वरित कार्रवाई की उम्मीद जताई।