इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) निर्माताओं की ओर से काफी पैरवी के बावजूद, हाइब्रिड वाहनों के लिए रोड टैक्स में छूट जारी रखने के उत्तर प्रदेश सरकार के हालिया फैसले ने काफी बहस छेड़ दी है। कदम यह बैठक टाटा मोटर्स, हुंडई मोटर इंडिया और महिंद्रा एंड महिंद्रा सहित प्रमुख वाहन निर्माताओं के साथ एक हाई-प्रोफाइल बैठक के दौरान हुई।
हाइब्रिड वाहनों को सड़क कर से छूट बरकरार रहेगी
उत्तर प्रदेश ने अपनी ग्रीन मोबिलिटी नीति के तहत हाइब्रिड वाहनों के लिए पूर्ण रोड टैक्स छूट बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। यह निर्णय हाइब्रिड तकनीक को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य के दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिसे वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहनों के समान कर लाभ प्राप्त हैं। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के साथ लखनऊ में आयोजित ऑटोमोटिव उद्योग के प्रमुख खिलाड़ियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक के बाद यह घोषणा की गई।
ईवी निर्माताओं द्वारा विशेष प्रोत्साहनों की मांग
ईवी निर्माताओं ने राज्य की नीति पर अपना असंतोष व्यक्त किया है, तथा इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए विशेष प्रोत्साहन की वकालत की है। टाटा मोटर्स, हुंडई और महिंद्रा जैसी प्रमुख कंपनियों ने तर्क दिया है कि हाइब्रिड को प्राथमिकता देने से विद्युतीकरण की दिशा में प्रयास कमजोर हो सकते हैं तथा दीर्घकालिक स्थिरता लक्ष्य प्रभावित हो सकते हैं। वे इस बात पर जोर देते हैं कि कार्बन कटौती लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ईवी महत्वपूर्ण हैं तथा चाहते हैं कि सरकार शून्य-उत्सर्जन प्रौद्योगिकियों का समर्थन करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करे।
सरकार का तर्क और भविष्य के विचार
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य की नीति भारत के अद्वितीय विकासात्मक चरण को संबोधित करने के लिए बनाई गई है। उन्होंने बताया कि ईवी और हाइब्रिड दोनों ही उत्सर्जन को कम करने में योगदान करते हैं, लेकिन संक्रमण को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। सरकार ईवी और हाइब्रिड के बीच अंतर करने की आवश्यकता को स्वीकार करती है, लेकिन यह सुनिश्चित करती है कि आंतरिक दहन इंजन वाहनों से शेष प्रदूषण को कम करने के लिए दोनों प्रौद्योगिकियाँ आवश्यक हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार हरित निवेश को आकर्षित करने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन भी दे रही है, जिसमें रियायती दरों पर भूमि और पूंजीगत सब्सिडी शामिल है। इन उपायों का उद्देश्य राज्य में रोजगार सृजन को बढ़ावा देना और नई हरित प्रौद्योगिकियों के विकास का समर्थन करना है।
विवाद और बाजार प्रभाव
हाइब्रिड को प्रोत्साहन देने के निर्णय से ईवी निर्माताओं के बीच विवाद पैदा हो गया है। आलोचकों का तर्क है कि हाइब्रिड पर ध्यान केंद्रित करने से इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की गति धीमी हो सकती है, जिन्हें दीर्घकालिक पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके बावजूद, सरकार अपनी वर्तमान नीति के प्रति प्रतिबद्ध है, जो हरित गतिशीलता के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ हाइब्रिड वाहनों को भी समर्थन जारी रखने का निर्णय हरित प्रौद्योगिकी अपनाने के प्रति सूक्ष्म दृष्टिकोण को रेखांकित करता है। हालाँकि इस नीति को इलेक्ट्रिक वाहनों के पक्षधरों की आलोचना का सामना करना पड़ा है, लेकिन यह दीर्घकालिक स्थिरता लक्ष्यों के साथ तात्कालिक व्यावहारिकताओं को संतुलित करने के प्रयास को दर्शाता है।