छत्तीसगढ़ धमतरी…रामचरितमानस के अनुसार, ब्रह्मऋषि उपदेश के निर्देश पर अयोध्या के राजा दीक्षित पुत्रेष्टि यज्ञ दंडकारण्य के लिए महेंद्रगिरि पर्वत पर स्थित थे। यहां महेंद्रगिरि पर्वत पर श्रृंगी ऋषि का आश्रम था। अन्यत्र में श्रृंगी ऋषि राजा जन्मोत्सव के अतिथि थे। श्रृंगी ऋषि अयोध्या और पुत्रेष्टि यज्ञ स्थल। यज्ञ से अभिनय अग्निदेव ने खेड दी, भोजन के बाद त्रि रानियां असंतुलित राक्षस और राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न का जन्म हुआ। दंडसाकरण्य हमारा समुद्री क्षेत्र है, जिसमें पहले सिहावा भी आता है। अन्यतम महेंद्रगिरि पर्वत है।
इस पर्वत में श्रृंगी ऋषि का आश्रम और उनकी पत्नी शांता का मंदिर है। श्रृंगी ऋषि की समाधि स्थल की गुफा के अंदर उनके ऊपर महर्षि श्रृंगी की प्रतिमा है। यहां हर साल मकर संक्रांति के समय विष्णु यज्ञ होता है, जिसमें छत्तीसगढ़ सहित आसपास के राज्यों के नि:संतान वर्षा आती है। 14 जनवरी से यह यज्ञ प्रारंभ होने वाला है जो 16 जनवरी तक चलेगा। आश्रम के प्रमुख पुजारी के, ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना सहित अन्य राज्यों के लोग संतान प्राप्ति के लिए आते हैं और उनके जीवन में नई खुशियाँ मिलती हैं। संत होने के बाद लोग बच्चे के साथ यहां दर्शन करने आते हैं…
14 जनवरी से शुरू होने वाले विष्णु महायज्ञ की तैयारियां जोरों से चल रही हैं। तीन दिनों के इस यज्ञ में हजारों लोग शामिल होते हैं। हर साल सैकड़ों की संख्या में नि:संतान देखने आते हैं। मुख्य यजमान पर्वत के ऊपर ही रुकता है। तीन दिन तक भंडारा होता है। श्री श्रृंगी ऋषि विकास समिति के अध्यक्ष संजय सारथी ने बताया कि वर्ष 2010 में मकर सक्रांति के अवसर पर विष्णु महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। पीडीएफ सैकडो निः संत दम्पत्तियों को बाबा श्रृंगी ऋषि ने आशीर्वाद दिया है। उन्हें संत की प्राप्ति हुई। , कोषाध्यक्ष दिनेश निषाद आनंदअवस्थी, उदय राम कश्यप, देवव्रत गौतम, प्रवीण गुप्ता, शेलेंद्र धेनुसेवक, जे वी नाग,संतोष पटेल,यशवंत नाग,झाडू राम पटेल, राम लाल, योगेन्द्र ठाकुर, विजय निषाद, गेंदन्द लाल शांडिल्य, गेंदू यादव, नारद निषाद, रामशरण सिंह, भूपेश साहू, तुकाराम साहूरी, मनहर भगत, सोहन प्रजापति, केशव पटेल, पुखराज नाग, टीकम ध्रुव, घनश्याम पटेल, बीरेन्द्र शांडिल्य ग्राम निवासी रेस्तरां शामिल है।