लखनपुर सीतेश सरदार:- द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती थी। तब से लेकर पूरे भारतवर्ष में गाय को माता की पूजा करने की परंपरा चली आ रही है। लेकिन आधुनिक समय में यह अपील भी ख़त्म होती जा रही है। गौचर लैंड नहीं और चरवाहा नहीं मिलने के कारण गाय बैल से बने बेजुबान पशुपालकों के लिए लोड प्रोडक्शन जा रहे हैं। अवारो की तरह गे बॉल स्ट्रीट में लगातार इधर-उधर विचरण करते नजर आते हैं। ऐसा ही एक दृश्य आज 21 जनवरी, मंगलवार को दोपहर करीब 12 बजे, लखनऊ के अस्पताल के ठीक सामने आया, जिसमें एक अज्ञात छोटा हाथी वाहन चालक की जिज्ञासा दिखाई दी। बैल बुरी तरह से घायल हो गया। वाहन चालक मशीन से भाग गया। गाड़ी के इंजन से बेजुबान बैल का एक पैर टूट गया। हर ऋषि ने भयग्रस्त बाल पर सहानुभूति खरी खोटी सुनाई डॉ सफ़र खान को घटना की जानकारी दी। खबर यह है कि पशु वैज्ञानिकों में पशुधन स्टाफ घटना स्थल रीच बैल का इलाज शुरू हो गया है। बताया जा रहा है कि बैल का पिछला एक पैर टूट गया है।सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लखनऊ के भूत से गेंद वाली सड़क काफी खतरनाक हो गई है। पहले भी मरे हुए हो गए थे। ब्रेकर होना नहीं और सकरी एकांगी का रास्ता होना टूटने का खतरा हमेशा बना रहता है। सब्सिडी को बहुत संभलकर चलना है। नातीजन बैल की पिटाई हो गई। निकट भविष्य में कभी भी भयानक नरसंहार हो सकता है। अनुराग अख्तर, मकसूद हुसैन सब्बीर खान और अन्य हरश डायन लोगों ने निह बाल की मदद से इलाज में कमी दिखाई है। ताकि बैल स्वस्थ सलामत रहे।