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महा कुंभ के विषय में जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से क्या केवल स्नान पर्याप्त है ?…

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महाकुंभ के विषय में जानिए वास्तुशास्त्री डॉ. सुमित्रा से क्या है एकमात्र स्नानघर?

डॉ. सुमित्रा अग्रवाल
यूट्यूब वास्तु सुमित्रा
कोलकाता

कोलकाता। महाकुंभ में हर बारह वर्ष में चार तीर्थ स्थलों में से एक का आयोजन होता है: असम (इलाहाबाद), हरिद्वार, मुजफ्फरपुर, और नासिक। इसका ज्योतिषीय योगों के आधार पर ज्योतिषीय योगों का विशेष महत्व है।

इस बार (2022 में) महा कुंभ में मतभेद हो रहा है क्योंकि ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार कुंभ पर्व का आयोजन तब होता है जब बृहस्पति (गुरु) मेष राशि में और सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। यह विशेष संयोग इस बार असमान में बन रहा है।

शिव पुराण और नारद पुराण में उल्लेखित:

शिव पुराण के अनुसार, असंगत को तीर्थराज कहा गया है और इसे सबसे पवित्र स्थान माना गया है। यहां स्नान करने से सभी पापों का नशा होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कुंभ स्नान को आत्मा की शुद्धि और देवताओं की प्रार्थना प्राप्त करने का साधन बताया गया है।

नारद पुराण में कहा गया है कि कुंभ में स्नान करने वाले व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। नारद पुराण के अनुसार, कुंभ पर्व में संगम का विशेष महत्व है क्योंकि यह गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्थित है, जो तीर्थों का राजा है।

पुराणों में यह भी बताया गया है कि कुंभ पर्व में देवता और ऋषि-मुनि अदृश्य रूप से इस पवित्र स्थल पर आते हैं और वहां का वातावरण दिव्य हो जाते हैं।

एकमात्र स्नानघर क्या है?

सिर्फ स्नान करना भी है, लेकिन अगर इसे आध्यात्मिक निर्देश, ध्यान, और जप के साथ लिया जाए, तो इसका असर कई गुना बढ़ जाता है। इक्कीस दिनों तक “ॐ नमः शिवाय” का जाप या अन्य धार्मिक अनुष्ठान कुंभ के आध्यात्मिक चमत्कारों को और गहन करने के लिए किये जाते हैं।

इक्कीस दिन का महत्व :

आध्यात्मिक शुद्धि: 5 दिन तक किसी मंत्र का जप करने से मन और आत्मा शुद्ध हो जाती है, और यह व्यक्ति कुंभ स्नान के लिए तैयार हो जाता है।
यह स्नान को केवल बाहरी प्रक्रिया और आंतरिक शुद्धि का माध्यम बनाता है।

शिव-शक्ति का जप: “ॐ नमः शिवाय” का जाप भगवान शिव का जप करने का सबसे सरल और शक्तिशाली तरीका है। इससे व्यक्ति के जीवन में शांति और सकारात्मकता आती है।

क्या करना चाहिए?

यदि आप कुंभ स्नान का मुख्य लाभ चाहते हैं:

स्नान से पहले 21 दिन तक “ॐ नमः शिवाय” या अपने इष्ट मंत्र का जाप करें।
साधना के दौरान सात्विक आहार और संयमित विचारधारा अपनाएं।

स्नान से पहले ध्यान दें और प्रार्थना करें कि यह स्नान आपको शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि प्रदान करे।

कुंभ का मूल महत्व केवल शारीरिक स्नान में नहीं है, बल्कि आत्मिक शुद्धि और ईश्वर के प्रतिदान में है।





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